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लेखनी कहानी -29-Nov-2022

शीर्षक- वो तुम थे

देखा ख्वाब में जिसे मैनें वो तुम थे! वो तुम थे!
खो गयी मैं कहीं देखकर तुमको
कहना पाई जो कहना चाहती थी तुमसे
टूटा ख्वाब तो अपने को तन्हा पाया
फूटकर मैं रोई नींद से जागकर
ले गया जो दिल चुराकर मेरा वो तुम थे! वो तुम थे!

लौट आओ कहाँ बस गए हो तुम
भीगे नैना देखते राह फिर मुड़ मुड़कर 
हुई मुझसे खता माफ कर दो मुझे
है जो अधूरी प्रेम कहानी मेरी 
आ जाओ पूरी कर दो इसे
जिंदगी में जिसे मैनें अपना कहा वो तुम थे! वो तुम थे!

न छोड़ने को हाथ थामा था मैनें
जिंदगी संग तेरे जीने के ख्वाब देखे थे मैंने 
कैसे पूरा होगा सफर गम ही गम आ रहा नजर
मालिक मेरे रहमोकरम कर दे
लौटा दे मुझको मेरा प्यार फिर से
हो जाए पूरी मेरी भी कहानी
हक से कह सकूँ मेरे शागिर्द तुम्ही थे! तुम्ही थे!

श्वेता दूहन देशवाल 
मुरादाबाद उत्तर प्रदेश
#यादों का झरचखा

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1 Comments

Mahendra Bhatt

03-Dec-2022 07:59 AM

👏👌🙏🏻

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